skip to main |
skip to sidebar
वो वक़्त कुछ और था, जब आँखे खोलते तेरी तस्वीर नज़र आती थी,
अब तेरा नाम सुनना भी गवारा नहीं,
बदल गया है वक़त पर मुक्कदर नहीं बदला,
आशिक़-मिजाज़ हम तब भी थे,
आशिक़ मिजाज़ हम अब भी है,
फर्क बस इतना है, अब लम्हों से मोहब्बत करना सिख लिया हैं हमने !
Author: Ashish Saket
-
12
images/themes/webTT/iconlist.xml
images/themes/webTT/bglist.xml
images/themes/webTT/colorlist.xml
0
-
-
-
Impact
28
4342338
-
Oldenburg
12
4342338
-